अर्थशास्त्र की विधियां
अर्थशास्त्र की विधियां वे उपकरण और दृष्टिकोण हैं जिनका उपयोग अर्थशास्त्री आर्थिक घटनाओं को समझने और विष्लेषण के लिए करते है। अर्थशास्त्र में निगमन और आगमन दो प्रमुख प्रणालियाँ हैं जिनका उपयोग आर्थिक सिद्धांतों और नीतियों के विकास में किया जाता है:
निगमन प्रणाली (Deductive method):
अर्थशास्त्र के अध्ययन की यह प्राचीन प्रणाली है। 19वीं शताब्दी के अर्थशास्त्रियों ने इस प्रणाली का उपयोग किया जैसे एडम स्मिथ, रिकाडों, टॉमस माल्थस, जे. एस. मिल आदि अर्थशास्त्रियों ने इस प्रणाली का समर्थन किया।
इस प्रणाली में मनुष्य के स्वभाव और आचरण को आधार मानकर तर्क की सहायता से निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
कुछ बातें सर्वमान्य हैं, निर्विवाद हैं जिन्हें प्रमाणित करने की जरूरत नही होती, इन्हे आधार मानकर विशिष्ट शक्तियों को खोजा जाता है।
विशेषताएं:
इस प्रणाली में, सामान्य सिद्धांतों और अवधारणाओं से विशिष्ट निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
यह सामान्य सत्य से विशिष्ट सत्य की ओर ले जाती है!
यह प्रणाली तर्कसंगत और तार्किक है।
इसमें सिद्धांतों को पहले से ही मान्य माना जाता है और फिर उनके आधार पर निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
उदाहरण 1.- एक सर्वमान्य शक्ति यह है कि मनुष्य एक मरणशील प्राणी है ।
उदाहरण 2. - यह सर्वमान्य सत्य है कि अन्य बातें समान रहने पर वस्तु की कीमत कम होती है तो उसकी मांग अधिक होती है! इसे सामान्य सत्य के आधार पर तर्क की सहायता से कह सकते हैं कि समाज का सभी वर्ग कम कीमत होने पर अधिक वस्तुएं खरीदना चाहेगे ।
अन्य नाम - इस प्रणाली को अनेक नामों से जाना जाता है। जैसे- अमूर्त प्रणाली, विश्लेषणात्मक प्रणाली, काल्पनिक प्रणाली, मानसिक प्रयोग प्रणाली, अनुभव प्रणाली आदि।
निगमन प्रणाली पर आधारित नियम एवं सिद्धांत
निगमन प्रणाली के आधार पर अर्थशास्त्रियों ने निम्न नियमों एवं सिद्धांतों का प्रतिपादन किया -
उपयोगिता हास नियम
उपभोक्ता की बचत
उत्पादन के नियम
मांग एवं पूर्ति नियम
मूल्य निर्धारण
अंतरराष्ट्रीय व्यापार
प्रतिस्थापन का सिद्धांत
लागत, लाभ, मजदूरी
व्याज के सिद्धांत आदि ।
गुण
1. सरलता:
यह सबसे सरल प्रणाली है। सामान्य सत्य के आधार पर तों की सहायता से विशिष्ट की ओर जाया जाता है। आंकड़े एकत्रित करना, उनका विश्लेषण करने का कार्य इसमें नहीं होता है! अतः आंकड़ों के झंझट से यह प्रणाली मुक्त है। इसलिए अधिक लोकप्रिय भी हैं।
2. यथार्थता
स्वयंसिद्ध, सर्वमान्य सत्य, निर्विवाद सत्य इस प्रणाली के आधार होते हैं। इस कारण इससे प्राप्त निष्कर्ष शुद्ध, यथार्थ वास्तविक एवं स्पष्ट होते हैं।
3. सर्वव्यापकता
यह सर्वव्यापक प्रणाली है, इसमें निकाले गए निष्कर्ष सर्वव्यापक होते हैं। प्रत्येक देश में लागू होते हैं। क्योंकि इनका आधार मानव स्वभाव होता है।
4. निष्पक्षता
इस प्रणाली में निष्पक्षता का गुण होता है। यथार्थता पर आधारित होने के कारण कोई भी व्यक्ति इसे अपने निजी विवार से प्रभावित नहीं कर सकता।
दोष
1. निष्कर्षो में व्यवहारिकता तथा वास्तविकता की कमी
इसके प्रयोग से हमेशा अवास्तविकता तथा अव्यवहारिक निष्कर्षों का डर बना रहता है, क्योंकि सर्वमान्य सत्य ही अवास्तविक हुए तो. प्राप्त निष्कर्ष वास्तविक कैसे हो सकते हैं। ऐसे निष्कर्ष तो केवल सैद्धांतिक अर्थशास्त्र की शोभा चढ़ाएंगे।
2. निष्कर्षों की सत्यता की जांच का अभाव
इस प्रणाली से प्राप्त निष्कर्षों की सत्यता की जांच नहीं की जा सकती। परीक्षण , अवलोकन और प्रयोग के अभाव में निष्कर्ष गलत भी हो सकते हैं।
3. कल्पना एवं धारणाओं के आधार पर नियमों का प्रतिपादन
इस प्रणाली में महज कल्पना का सहारा लेकर सामान्य सत्य खोजे हैं. वैज्ञानिक अध्ययन में कल्पनाओं को कोई अनुमति प्राप्त नहीं है।
4. इस प्रणाली से अर्थशास्त्र का पूर्ण विकास संभव नहीं
आलोचकों का मत है कि इस प्रणाली से अर्थशास्त्र के सभी पहलुओं का विकास नहीं हो सकता अतः यह अपूर्ण
आगमन प्रणाली (Inductive method):
यह प्रणाली निगमन प्रणाली के ठीक विपरीत हैं। इसमें विशिष्ट सत्य से सामान्य सत्य की ओर जाते हैं।
इस प्रणाली की कार्यशैली इस क्रम में होती है:
1) विशिष्ट आर्थिक घटनाओं का अध्ययन या अवलोकन
2) घटना से संबंधित आंकड़े या तथ्य एकत्रित करना
3) आंकड़ों का वर्गीकरण
4) निष्कर्ष निकालना
5) निष्कर्ष की जांच हेतु वास्तविक जगत का अध्ययन करना, यदि निष्कर्ष सही निकले तो सामान्य सिद्धांत का प्रतिपादन करना।
विशेषताएं
नए सिद्धांतों का प्रतिपादन किया जाता है जो वास्तविक दुनिया की घटनाओं और परिणामों पर आधारित होते हैं।
यह प्रणाली व्यावहारिक और अनुभवजन्य है।
इसमें आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है और फिर उनके आधार पर सिद्धांतों का विकास किया जाता है।
विशिष्ट से सामान्य की ओर होती हैं (विशिष्ट आंकड़ों और परिणामों से सामान्य सिद्धांतों और अवधारणाओं का विकास किया जाता है।)
उदाहरण:
एक गिलास पानी, एक धातु का टुकड़ा, एक लकड़ी का टुकड़ा है। प्रयोग किया पानी में धातु का टुकड़ा डाला वह डूब गया, लकड़ी का टुकड़ा डाला तो वह तैरने लगा। इससे निष्कर्ष यह निकलता है कि धातु डूब जाती है और लकड़ी तैरने लगती है। यह बात दुनिया के सभी स्थानों पर लागू होती है। डूबना या तैरना विशिष्ट ज्ञान है, और जो निष्कर्ष निकला वह सामान्य सत्य है।
अन्य नाम - इस रीति को ऐतिहासिक (Historical), प्रायोगिक (Experimental) सांख्यिकीय (Statistical) और वास्तविक (Realistic) प्रणाली के नाम से भी जाना जाता है। इसे अनुभव प्रणाली भी कहते हैं।
गुण
1. वास्तविकता के समीप
इसके द्वारा प्रतिपादित नियम अधिक विश्वसनीय एवं वास्तविक होते हैं। क्योंकि यह प्रणाली तत्वों तथा आंकडो पर आधारित होती है।
2. निष्कर्षों की जांच की सुविधा
इस प्रणाली द्वारा प्राप्त निष्कर्षों की सत्यता, वास्तविकता और व्यवहारिकता को प्रयोग द्वारा परखा जाता है।
3. निगमन प्रणाली की सहायक
यह प्रणाली निगमन प्रणाली की पूरक या सहायक है। निगमन प्रणाली के नियमों की जांच आगमन प्रणाली से की जा सकती है।
4. समष्टि अर्थशास्त्र के लिए उपयोगी
इस प्रणाली द्वारा कुल राष्ट्रीय आय, रोजगार तथा आर्थिक विकास से संबंधित आंकड़ों का एकत्रीकरण, वर्गीकरण तथा विश्लेषण किया जाता है।
दोष
1. जटिल प्रणाली
अवलोकन, प्रयोग और निरीक्षण करना प्रत्येक व्यक्ति के बस की बात नहीं है, जो आगमन प्रणाली में होता है। अतः यह जटिल प्रणाली है।
2. सर्वव्यापी न होना
यह प्रणाली सर्वव्यापी नहीं है. क्योंकि इसके निष्कर्ष कुछ विशिष्ट परिस्थितियो के आधार पर निकाले जाते हैं। यही कारण है कि नियम सर्वव्यापी नहीं होते हैं।
3. निष्कर्षों में पक्षपात का भय
इस प्रणाली से जो भी निष्कर्ष निकाले जाते हैं उसमें अन्वेषक के विचारों का प्रभाव अवश्य पड़ता है। जिससे निष्कर्ष पक्षपातपूर्ण हो जाते हैं।
4. क्षेत्र का सीमित होना
यदि अध्ययन हेतु चुना गया क्षेत्र सीमित हो और आंकड़े थोड़े से हो, तो निकाला गया निष्कर्ष वास्तविकता के समीप भी नहीं हो सकते है।
निष्कर्ष: अर्थशास्त्र में दोनों प्रणालियों का उपयोग किया जाता है, लेकिन आगमन प्रणाली अधिक प्रयोग की जाती है क्योंकि यह व्यावहारिक और अनुभवजन्य है।
Methods of Economics
The methods of economics are the tools and approaches used by economists to understand and analyze economic phenomena. In economics, there are two main methods—deductive and inductive—which are employed in the development of economic theories and policies:
Deductive Method
This is an ancient method of studying economics. Economists of the 19th century, such as Adam Smith, Ricardo, Thomas Malthus, and J.S. Mill supported and used this method.
In this method, conclusions are drawn based on reasoning by taking human nature and behavior as the foundation.
Certain facts are universally accepted and undisputed, which do not require proof. Based on these, specific conclusions are drawn.
Characteristics:
- In this method, specific conclusions are drawn from general principles and concepts.
- It leads from general truths to specific truths.
- This method is rational and logical.
- Principles are assumed to be true beforehand, and then conclusions are drawn based on them.
Examples:
1. A universally accepted truth is that humans beings are mortal.
2. It is universally true that if the price of a commodity decreases, its demand increases. Based on this general truth, it can be reasoned that all sections of society will want to buy more goods at lower prices.
Other Names:This method is known by several names, such as abstract method, analytical method, imaginary method, mental experiment method, and experiential method.
Principles and Theories Based on the Deductive Method:
- Law of Diminishing Marginal Utility
- Consumer Savings
- Production Laws
- Laws of Demand and Supply
- Pricing
- International Trade
- Theory of Substitution
- Costs, Profits, Wages
- Interest Theories, etc.
Advantages:
1. Simplicity: It is the simplest method. It progresses from general truths to specific conclusions using reasoning. There is no need to collect and analyze data, freeing it from statistical complexities, making it more popular.
2. Accuracy: Self-evident, universally accepted truths are the foundation of this method, resulting in pure, real, and clear conclusions.
3. Universality: This is a universal method. The conclusions drawn apply everywhere because they are based on human nature.
4. Impartiality: The method is impartial. Based on reality, no one can influence it with their personal biases.
Disadvantages:
1. Lack of Practicality and Reality:
There is always a risk of unrealistic and impractical conclusions since if the universally accepted truths are unrealistic, the conclusions cannot be real either. Such conclusions may only add to theoretical economics.
2. Lack of Verification:
The truth of the conclusions drawn by this method cannot be verified. In the absence of testing, observation, and experimentation, conclusions can be wrong.
3. Dependence on Imagination:
The rules are derived using mere imagination. Imagination is not permissible in scientific study.
4. Incomplete Development of Economics:
Critics argue that not all aspects of economics can be developed using this method, making it incomplete.
Inductive Method
It moves from specific truths to general truths.
Steps:
1. Study or observation of specific economic events.
2. Collection of data or facts related to the event.
3. Classification of data.
4. Drawing conclusions.
5. Testing the conclusion in the real world; if found correct, a general theory is proposed.
Characteristics:
- New theories are developed based on real-world events and outcomes.
- This method is practical and empirical.
- Data is analyzed, and theories are developed based on it.
- It moves from specific to general (developing general theories and concepts from specific data and outcomes).
Example:
If you have a glass of water, a piece of metal, and a piece of wood, and you experiment by dropping the metal into the water and it sinks while the wood floats, the conclusion is that metal sinks and wood floats. This principle applies everywhere. Sinking or floating is specific knowledge, and the conclusion is a general truth.
Advantages:
1. Closer to Reality:
- The rules formulated through this method are more reliable and realistic because this method is based on facts and data.
2. Verification of Conclusions:
- The validity, reality, and practicality of conclusions drawn by this method can be tested through experiments.
3. Support for Deductive Approach:
- This method complements the deductive approach. The rules of the deductive method can be tested using the inductive method.
4. Useful for Macroeconomics:
- This method is used for collecting, classifying, and analyzing data related to national income, employment, and economic development.
Other Names:This method is known by several names, such as Historical method, Experimental method, Statistical method and Realistic method.
Disadvantages:
1. Complex Method:
- Observation, experimentation, and inspection are not easy tasks, making this method complex.
2. Not Universal:
- This method is not universal because the conclusions are based on specific circumstances. Therefore, the rules are not universally applicable.
3. Risk of Bias in Conclusions:
- The conclusions drawn through this method may be influenced by the researcher's thoughts, making them biased.
4. Limited Scope:
- If the selected study area is limited and the data is scarce, the conclusions drawn may not be close to reality.
Conclusion: Both methods are used in economics, but the inductive method is more widely used because it is practical and empirical.