परिकल्पना(hypothesis)
परिकल्पना एक अनुमान या धारणा है, जो तर्कसंगत और परीक्षण योग्य कथन है जो किसी विशेष घटना या संबंध की व्याख्या करता है। यह एक शोध के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है अर्थात परिकल्पना शोधकर्ता को डेटा इकट्ठा करने और विश्लेषण करने के लिए एक दिशा प्रदान करता है।
गुरु व स्केट्स के शब्दों में, “एक परिकल्पना प्रेक्षित तथ्यों या अवस्थाओं को समझाने और अध्ययन को आगे मार्ग दर्शित करने के लिए बनाया गया व अस्थाई रूप में अपनाई गई एक बुद्धिमत्तापूर्ण कल्पना का निष्कर्ष होता है।”
गुड़े एवं हाट के शब्दों में “एक परिकल्पना एक विचार है जिसकी सत्यता या सार्थकता को ऑकने के लिए उसको परीक्षा हेतु रखा जाता है।”
पीटर एच. मैनन परिकल्पना को एक कार्यवाहक कल्पना ही मानते हैं।
Types of hypothesis
परिकल्पना (Hypothesis) एक ऐसा कथन है जिसे वैज्ञानिक अनुसंधान या सांख्यिकीय परीक्षण द्वारा सत्यापित किया जा सकता है। परिकल्पना के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिन्हें आप शोध के उद्देश्य के अनुसार चुन सकते हैं। आइए प्रत्येक प्रकार को उदाहरण सहित समझते हैं:
1. शून्य परिकल्पना (Null Hypothesis - H₀)
शून्य परिकल्पना वह परिकल्पना है जिसमें यह कहा जाता है कि दो चर के बीच कोई अंतर या संबंध नहीं है या परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं है। यानी किसी विशेष प्रभाव या संबंध का अस्तित्व नहीं है।
उदाहरण: यदि हम मानते हैं कि एक नई दवा का कोई प्रभाव नहीं है, तो शून्य परिकल्पना होगी, "नई दवा का रोगी के स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं है।"
2. वैकल्पिक परिकल्पना (Alternative Hypothesis - H₁)
यह शून्य परिकल्पना का विरोध करती है। इसमें यह कहा जाता है कि दो चर के बीच कोई संबंध या अंतर या परिवर्तन का प्रभाव होता है।
उदाहरण: उपरोक्त दवा के उदाहरण में, वैकल्पिक परिकल्पना होगी, "नई दवा का रोगी के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव है।"
3. दिशात्मक परिकल्पना (Directional Hypothesis)
इसमें यह निर्दिष्ट किया जाता है कि प्रभाव किस दिशा में होगा। अर्थात यह अनुमान लगाता है कि परिवर्तन सकारात्मक या नकारात्मक होगा।
उदाहरण: "धूम्रपान करने वालों में कैंसर की दर अधिक होती है।"
इस परिकल्पना में, हम अनुमान लगा रहे हैं कि धूम्रपान और कैंसर के बीच एक सकारात्मक संबंध होगा, अर्थात धूम्रपान करने वालों में कैंसर की दर अधिक होगी ।
4. गैर-दिशात्मक परिकल्पना (Non-Directional Hypothesis)
इसमें केवल प्रभाव होने की संभावना जताई जाती है, लेकिन यह नहीं बताया जाता कि प्रभाव किस दिशा में होगा।
उदाहरण: "धूम्रपान और कैंसर के बीच संबंध है।"
इस परिकल्पना में, हम भविष्यवाणी नहीं कर रहे हैं कि धूम्रपान और कैंसर के बीच संबंध किस दिशा में होगा, लेकिन हम केवल यह भविष्यवाणी कर रहे हैं कि कोई संबंध है।
5. सरल परिकल्पना (Simple Hypothesis)
इसमें केवल दो चर होते हैं, जिनमें एक स्वतंत्र और एक आश्रित होता है।
उदाहरण:"अधिक कैलोरी के सेवन से वजन बढ़ाता है।"
इसमें कैलोरी सेवन स्वतंत्र चर है और वजन आश्रित चर है।
6. जटिल परिकल्पना (Complex Hypothesis)
इसमें एक से अधिक स्वतंत्र या आश्रित चर होते हैं। यह परिकल्पना अधिक जटिल संबंधों को प्रस्तुत करती है।
उदाहरण: "अधिक कैलोरी के सेवन और कम शारीरिक गतिविधि से वजन बढ़ाने और मधुमेह की संभावना को बढ़ाते हैं।" इसमें एक से अधिक स्वतंत्र और आश्रित चर हैं।
7. सहचर्य परिकल्पना (Associative Hypothesis)
इसमें यह परिकल्पना की जाती है कि दो चर के बीच कोई संबंध है, लेकिन यह संबंध कारण और प्रभाव जैसा नहीं है।
उदाहरण: "आय स्तर और जीवन संतुष्टि के बीच संबंध होता है।”
8. परिणात्मक परिकल्पना (Causal Hypothesis)
इसमें यह परिकल्पना की जाती है कि एक चर दूसरे पर प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डालता है, अर्थात् कारण और प्रभाव का संबंध होता है।
उदाहरण: "धूम्रपान करने से फेफड़ों के कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।"
इसमें धूम्रपान (कारण) और कैंसर (परिणाम) के बीच संबंध बताया गया है।