संगणना पद्धति (Census Method).प्रतिदर्शन (Sampling) प्रतिदर्शन विधि उपयुक्तता, प्रतिदर्शन पद्धति के गुण (Merits of Sampling Method), प्रतिदर्शन पद्धति के अवगुण (Demerits of Sampling Method)

 

Table of contents

संगणना पद्धति (Census Method)

संगणना पद्धति के गुण (Merits of Census Method)

संगणना विधि की उपयुक्तता (Suitability of Census Method)

संगणना पद्धति के अवगुण (Demerits of Census Method):

प्रतिदर्शन (Sampling) 

प्रतिदर्श या नमूना (Sample)

प्रतिदर्शन विधि उपयुक्तता(Suitability of Sampling)

प्रतिदर्शन पद्धति के गुण (Merits of Sampling Method)

प्रतिदर्शन पद्धति के अवगुण (Demerits of Sampling Method)


शोध कार्य मुख्यतः दो पद्धतियों के आधार पर किया जा सकता है

 

संगणना पद्धति (Census Method).प्रतिदर्शन (Sampling) प्रतिदर्शन विधि उपयुक्तता, प्रतिदर्शन पद्धति के गुण (Merits of Sampling Method), प्रतिदर्शन पद्धति के अवगुण (Demerits of Sampling Method)


 

संगणना पद्धति (Census Method): संगणना पद्धति मे समस्त इकाइयों का अध्ययन किया जाता है और उन्हीं के आधार पर निष्कर्ष निकाला जाता है

इसिडोर चिन (Isidor Chin) का कहना है, "एक जनसंख्या के सभी तत्त्वों की गिना और/या प्रत्येक तत्त्व के सम्बन्ध में प्राप्त की गई सूचना के आधार पर गुणों के निर्धारण को संगणना कहते हैं।"

उदाहरण:  यदि कॉलेज में पढ़ने पहले विद्यार्थियों के दहेज सम्बन्धी विचार जानने हैं, तो शिक्षण-संस्थाओं में पढ़ने वाले समस्त विद्यार्थियों से पूछताछ करके आवश्यक सूचनाएँ एकत्र की जायेंगी, और उसी के आधार पर उनके 'दहेज' सम्बन्धी विचारों के विषय में अपने निष्कर्ष निकल सकेंगे। यहीं संगणना पद्धति है।

हमारे देश में प्रति दस वर्ष बाद की जाने वाली 'जनगणना' इसी विधि से की जाती है। इसमें प्रत्येक परिवार से सम्बन्धित सूचनाएँ एकत्र की जाती हैं अर्थात् जहाँ पूर्ण शुद्धता की आवश्यकता होती है, वहाँ संगणना विधि प्रयुक्त की जाती है। संगणना द्वारा अध्ययन का प्रचलन आज कम होता जा रहा है।

संगणना पद्धति के गुण (Merits of Census Method):

इस पद्धति के कुछ गुण हैं जो इस प्रकार स्पष्ट किए जा सकते हैं:-

(1) अधिक विश्वसनीय सूचनाएँ (Information More Reliable) - संगणना विधि द्वारा अनुसन्धान करने पर प्राप्त तथ्य अधिक विश्वसनीय एवं परिशुद्ध होते हैं क्योंकि क्षेत्र की सम्पूर्ण इकाइयों का अध्ययन इसके द्वारा हो जाता है।

(2) विस्तृत जानकारी (Wider Information) - संगणना विधि से प्रत्येक इकाई के विषय में विस्तृत जानकारी उपलब्ध हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप समस्या से सम्बन्धित किसी प्रकार का कोई पक्ष अछूता नहीं रह जाता है।

(3) विभिन्नताओं के क्षेत्र में उपयुक्त (Suitable for Heterogeneous Area)- जब क्षेत्र की इकाइयों में विभिन्नताएँ एवं विषमताएँ पाई जाती हैं; उस स्थिति में संगणना विधि अध्ययन की सर्वश्रेष्ठ विधि मानी जाती है।

संगणना विधि की उपयुक्तता:

संगणना विधि का प्रयोग इस प्रकार के अध्ययनों के लिए उपयोगी रहता है-

1) जिनकी इकाइयाँ विषम गुणों वाली हों,

2) जब शोध का क्षेत्र अत्यन्त छोटा हो,

3) जब परिशुद्धता की अत्यन्त आवश्यकता हो,

4) जब प्रत्येक इकाई का अध्ययन करना अपेक्षित हो, और

5) जहाँ अनुसन्धानकर्ताओं के पास समय, धन व साधनों को पर्याप्तता हो।

संगणना पद्धति के अवगुण (Demerits or Limitations of Census Method):

संगणना विधि की कुछ सीमाएँ हैं जिनके कारण इसका उपयोग सभी प्रकार के अनुसन्धानों के लिए नहीं किया जा सकता, ये सीमाएँ निम्नलिखित हैं-

(1) विशाल क्षेत्र (Wide Area) - जब अनुसन्धान का क्षेत्र विस्तृत होता है और इकाइयों की बहुलता होती है तो क्षेत्र की प्रति-इकाई से सम्पर्क स्थापित करना सम्भव नहीं हो पाता। अतः संगणना विधि केवल अत्यन्त छोटे क्षेत्र के लिए एवं अध्ययन की सीमित इकाइयों के लिए सम्भव हो पाती है।

(2) अधिक समय-साध्य (Needs More Time) - संगणना विधि से अध्ययन करने के लिए सभी इकाइयों से सम्पर्क करना आवश्यक होता है जिसके लिए अधिक समय एवं साधनों की आवश्यकता होती है। प्रायः अनुसन्धानों में समय को कमी होती है अतः उस स्थिति में यह विधि उपयुक्त नहीं होती।

(3) व्यापक संगठन एवं श्रम-साध्य (Wider Organisation and Labour- consuming)- संगणना विधि से तथ्य-संकलन करने के लिए अनेक कार्यकर्त्ताओं की आवश्यकता होती है तथा इसके लिए एक व्यापक सर्वेक्षण-संगठन बनाना पड़ता है और यह सुविधा प्रत्येक सर्वेक्षण में प्राप्त नहीं हो पाती अतः इस विधि का उपयोग सीमित हो बाला है।

(4) विस्तृत अध्ययन के लिए अनुपयुक्त (Unsuitable for Deep-study)- पत्र विधि विस्तृत एवं सूक्ष्म अध्ययन के लिए भी अनुपयुक्त रहती है। साथ ही गहन अध्ययन के लिए भी इसकी उपयोगिता नहीं है। इसी प्रकार यदि अनुसन्धान में इकाइयों में अधिक समानता अथवा सजातीयता हो तो भी इस विधि का प्रयोग अनुपयुक्त रहता है।

(5) अधिक खचीली (More Expensive) - संगणना पद्धति एक खर्चीली विधि है. इसका प्रयोग करने पर अधिक धन को आवश्यकता होती है, इस कारण इसका प्रयोग हर अनुसन्धान के लिए करना सम्भव नहीं है।

उपर्युक्त संगणना विधि की सीमाओं पर प्रकाश डालने के उपरान्त यह निष्कर्ष निकलता है कि आज के समय में जब धन, शक्ति एवं समय- इन तीनों दृष्टियों से ही व्यक्ति अक्षम है तो यह विधि अध्ययन के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती। ऐसी स्थिति में 'निदर्शन विधि' अनुसन्धान की अति सरल विधि मानी जा सकती है, जिससे 'समग्र' में से कुछ इकाइयों को प्रतिनिधि रूप में चुन लिया जाता है और उनके सम्बन्ध में उचित अनिवार्य जानकारी प्राप्त कर ली जाती है। निदर्शन विधि वैज्ञानिक भी है, जिसमें न्यूनतम धन, समय एवं साधनों के आधार पर, न्यूनतम अध्ययनकर्त्ताओं द्वारा अध्ययन करना सम्भव होता है।

उदाहरणार्थ-यदि किसी गम्भीर समस्या के विषय में युवा-वर्ग (जो महाविद्यालयों विश्वविद्यालयों के छात्र हैं) के विचारों को जानना हो तो कुछ प्रतिनिधि स्वरूप कॉलेज चुनकर उन्हीं के विद्यार्थियों के विचारों का अध्ययन किया जायेगा जो सम्पूर्ण विद्यार्थी-वर्ग के विचारों का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह 'निदर्शन विधि' कहलायेगी।

प्रतिदर्शन पद्धति (Sampling Method): 

प्रतिदर्शन पद्धति के अंतर्गत सभी इकाईयो का अध्ययन नही किया जाता है बल्कि इसमें समग्र/समूह में से कुछ ऐसी इकाइयों को चुन लिया जाता है जो समस्त इकाइयों को इकाइयों का अच्छे तरीके से प्रतिनिधित्व करती है इससे शोधकर्ता अपना अध्ययन समग्र में व्यार्थ ना गंवाकर कुछ पर ही केंद्रित करता है जिससे अध्ययन का विषय का गहन अध्ययन समय और धन की बचत होती है। इसके अन्य नाम है: निदर्शन, प्रतिचयन और न्यादर्शन।

प्रतिदर्श या नमूना (Sample): 

समस्त इकाइयों के समूह अथवा सम्पूर्ण की विशेषताओं के अन्वेषण के लिए उनमें से चुनी गयी इकाई जो सम्पूर्ण का प्रतिनिधित्व करती है, प्रतिदर्श या नमूना कहलाती है

प्रतिदर्शन विधि उपयुक्तता :

प्रतिदर्शन विधि कहां कहां उपयोग की जाती है:

1) जहां अनुसंधान का क्षेत्र बहुत अधिक विस्तृत हो।

2) जहां विभिन्न इकाइयों के अत्यधिक परीक्षण की आवश्यकता ना हो।

3) जहां समग्र की सभी इकाइयां लगभग एक जैसी हो।

4) जहां शुद्धता की आवश्यकता ना हो।

प्रतिदर्शन पद्धति के गुण (Merits of Sampling Method):

1) विशाल जांच जहां विशाल रूप से जांच करनी होती है वहां पर प्रतिदर्श विधि का अधिक प्रयोग किया जाता है। क्योंकि जनगणना विधि के प्रयोग पर बहुत अधिक धन खर्च करना पड़ता है।

2) अधिक वैज्ञानिक प्रतिदर्श विधि अधिक वैज्ञानिक होती है। क्योंकि इसमें आंकड़ों की अन्य न्यायदर्श द्वारा जांच की जा सकती है।

3) समय की बचतप्रतिदर्श प्रणाली के द्वारा आंकड़ों का शीघ्रता से संकलन किया जा सकता है क्योंकि मदो की संख्या कम होती है इस प्रकार समय की बचत भी होती है।

4) कम खर्चीली प्रतिदर्श विधि कम खर्चीली होती है इसमें धन, समय, मेहनत की बचत होती है।

5) गलती की पहचान इस विधि में केवल सीमांत मदों का अध्ययन किया जाता है। इसीलिए गलती की पहचान करना आसान होता है।

प्रतिदर्शन पद्धति के अवगुण (Demerits of Sampling Method):

1) अशुद्ध निष्कर्ष इस विधि में यदि गलत प्रतिदर्श (सैंपल) चुने जाते हैं तो निष्कर्ष अशुद्ध भी निकल सकते हैं।

2) पक्षपात पूर्ण प्रतिदर्श विधि में पक्षपात की संभावना अधिक होती है।

3) प्रतिदर्श बनाने में कठिनाई कई बार जनसंख्या का समुह इतना बड़ा होता है कि प्रतिदर्श बनाना संभव नहीं हो पाता।

4) विशिष्ट ज्ञान प्रतिदर्श विधि का प्रयोग करते समय एक विशेष तकनीक का ज्ञान होना चाहिए। ऐसे व्यक्ति जिन्हें प्रतिदर्श की सभी विधियों का ज्ञान होता है। वह आसानी से पर्याप्त नहीं होते हैं।

5) प्रतिनिधि के चुनाव में कठिनाई एक अनुसंधानकर्ता के लिए कई बार ऐसे प्रतिदर्श का चुनाव कठिन हो जाता है जो जनसंख्या का पूर्ण रूप से प्रतिनिधित्व कर सकता हो।