विषय सूची प्रश्नावली का आशय (Meaning of
Questionnaire) प्रश्नावली की परिभाषा (Definition of
Questionnaire) प्रश्नावली की प्रकृति या विशेषता (Nature of the
Questionnaire) (1) प्रश्नों का आकार (Size of
Questions) (2) भाषा की स्पष्टता (Clarity of
Language) (3) इकाइयों की स्पष्टता (Clarity of
Units) (4) उपयोगी प्रश्न (Useful
Questions) (5) विशिष्ट प्रश्नों से बचाव (Avoidance of
Specific Questions)
प्रश्नावली प्रविधि के गुण (Merits of
Questionnaire Technique) (1)
विशाल जनसंख्या का अध्ययन (Study of large population) (2) कम समय (Minimum
Expenses) (3) कम व्यय (Minimum Time) (4) न्यूनतम परिश्रम (Minimum
Labour) (5)
सुविधाजनक (convenient) (6) निष्पक्ष सूचनाएँ (Unbiased information) (7) स्वयं प्रशासित (self administered) (8) सांख्यिकीय विश्लेषण में सरलता (Simplicity in statistical analysis) (9) तुलनात्मक अध्ययन (Comparative
Study) प्रश्नावली प्रविधि के दोष (Demerits of
Questionnaire Technique) (1) सार्वभौमिकता का अभाव (Lack of universality) (2) आधी-अधूरी सूचनाओं
की सम्भावना (Possibility of incomplete information) (3) वापसी की समस्या/उत्तर प्राप्ति की समस्या (Problem of
response) (4) प्रेरणा का अभाव (Lack of motivation) (5) त्रुटिरहित प्रश्नों का अभाव (Lack of error free questions) (6) सहायता का अभाव (Lack of help) (7) गहन अध्ययन के लिए अनुपयुक्त (Unsuitable
for Deeper Study) (8) अशिक्षितों के लिए अनुपयुक्त
(Inappropriate for Illiterates) (9) भावनात्मक प्रेरणा का अभाव (Lack of
Emotional Stimulation)
प्रश्नावली के प्रकार (Types of
Questionnaire) (1) बन्द तथा प्रतिबन्धित प्रश्नावली (Closed
Questionnaire) (2) खुली तथा अप्रतिबन्धित प्रश्नावली (Open
Questionnaire) (3) चित्रयुक्त प्रश्नावली (Pictorial
Questionnaire) (4) मिश्रित प्रश्नावली (Mixed
Questionnaire) (5) निर्दिष्ट अथवा संरचनात्मक प्रश्नावलियाँ (structured
Questionnaires) (6) अनिर्दिष्ट अथवा असंरचनात्मक प्रश्नावलियाँ
(Non-structured Questionnaires (7) तथ्य सम्बन्धी प्रश्नावली (Fact finding questionnaire) (8) सम्मति सम्बन्धी प्रश्नावली (Questionnaire about Opinion)
प्रश्नावली की विश्वसनीयता (Reliability of
Questionnaire) (1) गलत एवं असंगत प्रश्न (Wrong and Irrelevant Questions) (2) पक्षपातपूर्ण निदर्शन (Biased Sample) (3) नियन्त्रित पक्षपातपूर्ण उत्तर (Controlled and Biased Responses) (4) विश्वसनीयता की जाँच (Test of Reliability) (5) प्रश्नावलियों को पुनः भेजना (Sending Questionnaire Again) (6) समान वर्गों का अध्ययन (Study of Similar Groups) (7) उपनिदर्शन का प्रयोग करना (Using a Sub-sample) (8) अन्य तरीके (Miscellaneous Methods) |
प्रश्नावली का आशय
(Meaning of Questionnaire)
प्रश्नावली विभिन्न प्रश्नों की एक व्यवस्थित सूची है जिसका उद्देश्य अध्ययन-विषय से सम्बन्धित व्यक्तियों से डाक द्वारा सूचनाएँ प्राप्त करके प्राथमिक तथ्यों का संकलन करना होता है। जब अध्ययन विषय विस्तृत क्षेत्र में फैले हुए व्यक्तियों से सम्बन्धित होता है और जिनसे प्रत्यक्ष मिलकर सूचनाएँ प्राप्त करना कठिन कार्य होता है। तो ऐसी स्थिति में प्रश्नावली ही एक ऐसी प्रविधि रह जाती है जिसको द्वारा डाक भेजकर इन कठिनाइयों का निवारण कर लिया जाता है। इस रूप में प्रश्नावली साक्षात्कार प्रविधि का विकल्प है। डाक द्वारा ही इसका प्रयोग किया जाता है इसलिए इसे 'डाक द्वारा प्रेषित प्रश्नावली' (Mailed Questionnaire) भी कहा जाता है।
प्रश्नावली की परिभाषा
(Definition of Questionnaire)
विभिन्न विद्वानों ने प्रश्नावली को अनेक रूपों में परिभाषित किया है जो निम्नलिखित हैं-
(1) पोप के अनुसार, "प्रश्नावली प्रश्नों का एक
समूह है जिनके
उत्तर बिना किसी
अध्ययनकर्त्ता अथवा प्रगणक
की सहायता से
सूचनादाता स्वयं ही देता है।"
(2) गुडे एवं हॉट के अनुसार, "सामान्यतया 'प्रश्नावली' शब्द का तात्पर्य प्रश्नों के उत्तरों को प्राप्त करने की एक ऐसी प्रविधि से है जिसमें उत्तरदाता स्वयं ही एक प्रपत्र को भरकर सूचनाएँ प्रेषित करते हैं। ''
(3) बिल्सन गी के अनुसार, "प्रश्नावली बड़ी संख्या में लोगों से अथवा छोटे चुने हुए एक समूह से, जिसके कि सदस्य विस्तृत क्षेत्र में फैले हुए हैं, सीमित मात्रा में सूचना प्राप्त करने की एक सुविधाजनक प्रणाली है।"
(4) बोगार्डस के अनुसार, "प्रश्नावली विभिन्न व्यक्तियों को उत्तर देने के लिए प्रेषित की गई प्रश्नों की सूची है।"
(5) सिन पाओ यंग के अनुसार, "अपने सरलतम रूप में प्रश्नावली प्रश्नों की एक अनुसूची है जो कि अनुसूचित अथवा सर्वेक्षण निदर्शन के रूप में निर्वाचित व्यक्तियों के पास डाक द्वारा भेजी जाती है।"
प्रश्नावली की प्रकृति या विशेषता
(Nature of the Questionnaire)
(1) प्रश्नों का आकार (Size of Questions)-प्रश्नों का आकार बड़ा नहीं होना चाहिए क्योंकि उत्तरदाता बड़े आकार को देखते ही विचलित हो जाता है, अतः छोटी प्रश्नावलियाँ अधिक उपयोगी सिद्ध हो सकती हैं।
(ii) भाषा की स्पष्टता (Clarity of Language)- प्रश्नावलियों की भाषा इतनी सरल और स्पष्ट होना चाहिए कि एक साधारण उत्तरदाता उनके अर्थ व प्रयोग को समझ कर स्पष्ट उत्तर दे सके। किसी प्रकार की पारिभाषिक शब्दावलियों, बहुअर्थक शब्दों को जहाँ तक सम्भव हो सके, स्थान नहीं देना चाहिए।
(iii) इकाइयों की स्पष्टता (Clarity of Units)-अध्ययनकर्ता जिन इकाइयों को प्रयोग में ला रहा है, उनको स्पष्ट रूप से परिभाषित करना चाहिए ताकि अलग-अलग उत्तरदाता अपने-अपने दृष्टिकोण से उनकी व्याख्या न करें।
(iv) उपयोगी प्रश्न (Useful Questions) - प्रश्न उपयोगी होने चाहिए जिससे अनुसन्धानकर्ता का स्वयं का उद्देश्य भी पूर्ण हो सके। अतः ऐसे योग्य प्रश्न पूछे जाने चाहिए जिनसे कि उत्तरदाता भी उनका जवाब निःसंकोच होकर दे सके।
(v) विशिष्ट प्रश्नों से बचाव (Avoidance of Specific Questions) व्यक्तिगत जीवन, भावनाओं, रहस्यात्मक जीवन तथा व्यंगात्मक प्रश्न नहीं पूछे जाने चाहिए, क्योंकि इससे उत्तरदाता की भावनाओं को ठेस पहुँच सकती है। यदि इस प्रकार के प्रश्नों से नहीं बचा गया तो अनुसन्धान का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा।
प्रश्नावली प्रविधि के गुण (Merits of
Questionnaire Technique)
विल्सन गी के अनुसार, "प्रश्नावली प्रविधि, व्यक्तियों के एक बड़े समूह अथवा अधिक बिखरे हुए व्यक्तियों के एक छोटे से चुने हुए समूह से कुछ सीमित सूचनाएँ प्राप्त करने की एक सुगम विधि है।" प्रश्नावली प्रविधि की विशेषताओं की ओर अनेक विद्वानों ने इशारा किया है जो निम्नांकित है-
(1) विशाल जनसंख्या का अध्ययन-इस प्रविधि द्वारा बहुत बड़े क्षेत्र में फैले हुए सीमित व अधिक जनसंख्या का सुगमतापूर्वक अध्ययन किया जा सकता है। जैसा कि सिन पाओ यांग लिखते है कि "प्रश्नावली एक विशाल एवं विस्तृत क्षेत्र में बिखरे हुए व्यक्तियों के समूह में से सूचनाएँ संकलित करने की शीघ्रतम तथा सरलतम विधि प्रदान करती है।"
(2) कम समय-इस प्रविधि में प्रश्नावलियों चूँकि डाक द्वारा एक साथ विस्तृत क्षेत्रों में भेज दी जाती हैं और उनसे बहुत ही कम समय में सूचनाएँ प्राप्त हो जाती है। अतएव इस प्रविधि में कम-से-कम समय में जानकारियाँ संकलित की जा सकती है। अन्य प्रविधियों में अधिक समय लगता है।
(3) कम व्यय-इसमें व्यय भी कम होता है। डाक खर्च और अनुगामी पत्र के अलावा इसमें और कोई अतिरिक्त खर्च नहीं होता। तुलनात्मक दृष्टि से कहा जा सकता है कि अनुसूची प्रविधि के कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण, उनके वेतन-भत्ते आदि की आवश्यकता और समस्याओं का सामना इस विधि में नहीं करना पड़ता।
(4) न्यूनतम परिश्रम-इसमें परिश्रम भी ज्यादा नहीं करना पड़ता। डाक से भेज देने के बाद वापसी की कुछ दिन प्रतीक्षा करना, उन्हें अनुगामी पत्र भेजना और पर्याप्त मात्रा में सूचनाएँ एकत्र न होने पर अन्य लोगों के पास प्रश्नावली भेजने का श्रम मात्र करने की आवश्यकता इसमें पड़ती है।
(5) सुविधाजनक यह प्रविधि उत्तरदाता के लिए अधिक सुविधाजनक मानी जाती है, क्योंकि उत्तरदाता अपनी सुविधा से प्रश्नावली के प्रश्नों का जवाब बिना किसी डर या संकोच के देता है। प्रश्नकर्ता के सामने रहने पर उत्तरदाता को संकोच हो सकता है।
(6) निष्पक्ष सूचनाएँ- उत्तरदाता के समक्ष प्रश्नकर्ता उपस्थिति रहने से जानकारियाँ पक्षपातपूर्ण हो सकती हैं, क्योंकि प्रश्नकर्ता उत्तरदाता को प्रभावित कर सकता है। जबकि प्रश्नावली प्रविधि में ऐसी सम्भावना नहीं होती और निष्पक्ष सूचनाएँ संकलित की जा सकती हैं।
(7) स्वयं प्रशासित-प्रश्नावली चूँकि डाक द्वारा गन्तव्य तक भेजी जाती हैं अतएव अनुसन्धानकर्ता को संगठन या व्यवस्था की समस्या से उलझना नहीं पड़ता। कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण, उनका पारिश्रमिक, संगठन या प्रशासन सम्बन्धी समस्याएँ नहीं आती। इसलिए इस प्रविधि को स्वयं प्रशासित कहते हैं।
(8) सांख्यिकीय विश्लेषण में सरलता-प्रश्नावली पद्धति से प्राप्त सूचनाओं का सांख्यिकीय प्रयोग, वर्गीकरण, सारणीयन एवं श्रेणीबद्ध करना सरल होता है क्योंकि इसमें सांख्यिकीय प्रयोग किए जा सकने वाले प्रश्न निर्धारित कर दिए जाते हैं।
(9) तुलनात्मक अध्ययन (Comparative Study) - प्रश्नावली विधि में चूँकि अनुसन्धान के समय अनुसन्धानकर्ता उपस्थित नहीं रहता इस कारण विभिन्न परिणामों की तुलना सरलता से की जा सकती है जबकि अन्य प्रविधियों में यह तुलना करना सम्भव नहीं होता है।
प्रश्नावली प्रविधि के दोष
(Demerits
of Questionnaire Technique)
अन्य प्रविधियों की भाँति इस प्रविधि में भी कतिपय दोष हैं। प्रश्नावली प्रणाली की कमियों के बारे में विटन ने लिखा है कि "प्रश्नावली शायद सबसे दोषयुक्त प्रविधि है क्योंकि इसमें आन्तरिक कमजोरियाँ विद्यमान हैं।" कुछ प्रमुख दोषों को निम्नानुसार गिनाया जा सकता है-
(1) सार्वभौमिकता का अभाव-यह प्रविधि समाज के सभी व्यक्तियों पर प्रयुक्त नहीं की जा सकती। इसका दायरा केवल शिक्षित वर्ग तक सीमित होता है। कम पढ़े-लिखे या निरक्षर व्यक्तियों जिनकी संख्या भारत में अधिक है और जो विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक समस्याओं की समझ नहीं रखते पर इस प्रविधि को अपनाया जाना सम्भव नहीं है।
(2) आधी-अधूरी सूचनाएँ-कई बार उत्तरदाता मुख्य प्रश्नों का उत्तर नहीं देते। यह सम्भव है कि वे प्रश्न या विषय को समझें ही नहीं अथवा गुप्त सूचनाएँ देना न चाहते हो, ऐसी दशा में वे जितना चाहते हैं केवल उन्हीं प्रश्नों का जवाब दे देते हैं, बाकी छोड़ देते हैं। ऐसी आधी-अधूरी सूचना के माध्यम से सही निष्कर्ष तक पहुँचना सम्भव नहीं होता।
(3) वापसी की समस्या/उत्तर प्राप्ति की समस्या (Problem of response) -प्रश्नावली भेज देने के बाद अध्येता के पास उत्तरदाता को उत्तर देने के लिए प्रेरित करने का कोई माध्यम नहीं होता, वह केवल अनुगामी पत्र प्रेषित कर उनसे प्रत्युत्तर का अनुरोध कर सकता है। कई बार ऐसा होता है कि उत्तरदाता अपनी लापरवाही, समय का अभाव और अनिच्छा के कारण प्रश्नावली वापस भेजते ही नहीं और तब इस प्रविधि का मुख्य उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है।
(4) प्रेरणा का अभाव-उत्तरदाता से प्रत्यक्ष सम्पर्क न होने के कारण अध्येता, उत्तरदाता को सूचनाएँ देने के लिए भावनात्मक रूप से प्रेरित नहीं कर सकता।
(5) त्रुटिरहित प्रश्नों का अभाव-सूचनादाताओं की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक स्थिति, रुचि, शिक्षा आदि भिन्न-भिन्न होने के कारण ऐसे त्रुटिरहित प्रश्नों का निर्माण करना सम्भव नहीं है जो समाज के सभी वर्गों के लिए उपयुक्त हों और उनसे सूचना प्राप्त कर निष्कर्ष निकाला जा सके।
(6) सहायता का अभाव-कई बार सूचनादाता प्रश्नों को समझ नहीं पाता और उसकी सहायता करना सम्भव नहीं होता। ऐसी दशा में प्राप्त सूचनाएँ अनुसन्धान की दृष्टि से उपयुक्त नहीं होती
(7) गहन अध्ययन के लिए अनुपयुक्त (Unsuitable for Deeper Study) - प्रश्नावली द्वारा केवल मोटे-मोटे राथ्यों को एकत्र किया जाता है, प्रश्न की गहराई तक नहीं पहुँचा जा सकता। साक्षात्कार द्वारा मनुष्य के मनोभाव, प्रवृत्तियों व आन्तरिक मूल्यों का गहराई से अध्ययन हो सकता है जबकि प्रश्नावली द्वारा केवल सहायक सूचनाएँ प्राप्त हो सकती हैं। पार्टन के अनुसार, "इसमें कोई सन्देह नहीं है कि सर्वोत्तम प्रश्नावली की लेथा रत्नम साक्षात्कार द्वारा अधिक गहन अध्ययन किया जा सकता है।”
(8) अशिक्षितों के लिए अनुपयुक्त (Inappropriate for Illiterates)- प्रश्नावली-प्रविधि अशिक्षित अथवा कम शिक्षित व्यक्तियों के लिए उपयुक्त विधि नहीं है क्योंकि न तो वे इसे पढ़ सकते हैं जो लिखित प्रश्नों के उत्तर दे सकें और न ही डाक आदि द्वारा भेजने की व्यवस्था उनके द्वारा की जा सकती है। सामाजिक-समस्याएँ दोनों प्रकार के व्यक्तियों (शिक्षित व अशिक्षित) से सम्बन्धित होती हैं। लेकिन इस विधि से सामग्री- संकलन शिक्षितों द्वारा ही सम्भव होता है, यह इस विधि का दोष है।
(9) भावनात्मक प्रेरणा का अभाव (Lack of Emotional Stimulation)- प्रश्नावली-प्रविधि में उत्तरदाता व अध्ययनकर्ता के मध्य प्रत्यक्ष सम्बन्ध न होने के कारण उनमें भावात्मक प्रेरणा का भी अभाव पाया जाता है। वे एक-दूसरे के विचारों को, भावनाओं को, मनोवृत्तियों को नहीं समझ पाते अतः प्रश्नावली भरना मात्र औपचारिकता रह जाती है।
उपर्युक्त कमियों के उपरान्त भी प्रश्नावली विधि तथ्य-संकलन की सबसे सरल, कम व्यय-साध्य विधि है। इसी सन्दर्भ में गुडे एवं हॉट का कहना है, "यदि प्रश्नावली में प्रश्नों का निर्माण तथा निदर्शन का चुनाव उपयुक्त एवं समुचित रूप से किया जाए तो इसके द्वारा प्राप्त सूचनाएँ निश्चित ही प्रामाणिक एवं विश्वसनीय होंगी।" उन्होंने यह भी कहा है कि, "अनेक दोषों के बाद भी, डाक द्वारा प्रेषित प्रश्नावली अनुसन्धान में एक उपयोगी प्रविधि सिद्ध हुई है।
प्रश्नावली के प्रकार (Types of
Questionnaire)
(1) बन्द तथा प्रतिबन्धित प्रश्नावली (Closed Questionnaire) - इस प्रकार की प्रश्नावली में सूचनादाता के उत्तरों को प्रश्नों द्वारा निश्चित सीमा में बाँध दिया जाता है, अधिक सरल व सुविधाजनक होने के कारण, सूचनादाता इनको भरकर शीघ्र लौटा सकते हैं। उदाहरण -
(i) आपका परिवार कैसा है? संयुक्त / एकांकी
(ii) आपके यहाँ किस प्रकार के विवाह होते हैं? जातीय / अंतरजातीय
(2) खुली तथा अप्रतिबन्धित प्रश्नावली (Open Questionnaire) - ऐसी प्रश्नावली में सूचनादाता को खुलकर विचार रखने की स्वतन्त्रता होती है और इस प्रकार विवरणात्मक अथवा गुणात्मक सूचनाएँ प्राप्त हो जाती है। प्रत्येक प्रश्न के लिए प्रश्नावली में उचित स्थान छोड़ दिया जाता है। इसके उदाहरण निम्नलिखित हैं-
(i) सह शिक्षा के बारे में आपके क्या विचार हैं?
(ii) भारत में मद्यनिषेध के बारे में आप क्या कह सकते हैं?
इस प्रकार के प्रश्नों में सूचनादाता को विस्तारपूर्वक उत्तर देने होते हैं।
(3) चित्रयुक्त प्रश्नावली (Pictorial Questionnaire) - आधुनिक युग में मनुष्य के पास इतना समय नहीं है कि वह लम्बे-लम्बे प्रश्नों का उत्तर दे, इसलिए चित्रों के द्वारा प्रश्नावली को अधिक से अधिक नवीन, आकर्षक व सरल बना दिया जाता है। व्यस्त व्यक्ति भी ऐसी प्रश्नावली की ओर आकर्षित हो जाते हैं और प्रश्नों को सुविधापूर्वक ढंग से समझ सकते हैं। इस प्रश्नावली को भरने में कम प्रयत्न और समय की आवश्यकता होती है और उत्तरों की जाँच भी सरलता से की जा सकती है।
(4) मिश्रित प्रश्नावली (Mixed Questionnaire)
यह प्रश्नावली न तो शुद्ध रूप से प्रतिबन्धित होती है और न ही अप्रतिबन्धित । दोनों प्रकार के प्रश्नों का समावेश इस प्रकार की प्रश्नावली में होता है। अधिकांश प्रश्नावलियाँ इसी प्रकार की होती हैं।
(5) निर्दिष्ट अथवा संरचनात्मक प्रश्नावलियाँ (structured Questionnaires)
संरचनात्मक प्रश्नावलियों में प्रश्न स्पष्ट, निश्चित व पूर्व-निर्धारित होते हैं।
इनमें सबसे प्रमुख बात यह है कि प्रश्नों का निर्माण पहले ही कर लिया जाता है, साक्षात्कार के समय नहीं।
पूर्व-निर्धारित प्रश्नों के अतिरिक्त ऐसे अतिरिक्त प्रश्न भी सम्मिलित रहते हैं जो अपर्याप्त उत्तरों में स्पष्टीकरण करने या अधिक विस्तृत उत्तर प्राप्त करने के लिए आवश्यक समझे जाते हैं।
इसी आधार पर जहोदा एवं कुक ने संरचित प्रश्नावली को 'मानक प्रश्नावली' का नाम दिया है।
ऐसी प्रश्नावली का उपयोग एक विस्तृत क्षेत्र में फैले हुए व्यक्तियों से प्राथमिक तथ्यों का संकलन करने के लिए किया जाता है।
संरचित प्रश्नावली में जिन प्रश्नों का समावेश किया जाता है वे अत्यधिक निश्चित, क्रमबद्ध और स्पष्ट होते हैं तथा प्रत्येक उत्तरदाता के लिए इनकी प्रकृति समान होती है। इसके परिणामस्वरूप ऐसी प्रश्नावली से प्राप्त उत्तरों का वर्गीकरण करना अधिक सरल हो जाता है।
साधारणतया किसी समूह की सामाजिक- आर्थिक विशेषताओं का अध्ययन करने अथवा प्रशासनिक स्तर पर परिवर्तन हेतु व्यक्तियों के सुझाव जानने के लिए ऐसी प्रश्नावली का उपयोग किया जाता है।
(6) अनिर्दिष्ट अथवा असंरचनात्मक प्रश्नावलियाँ (Non-structured Questionnaires
"अनिर्दिष्ट प्रश्नावलियों को साक्षात्कार निर्देशिका भी कहा जाता है।" इस प्रकार की प्रश्नावलियों का प्रयोग केन्द्रित (Focussed), गहन (Depth) व अनिर्दिष्ट साक्षात्कारों में किया जाता है।
कैण्ट का कथन है कि "असंरचित प्रश्नावली वह होती है जिसमें कुछ निश्चित विषय-क्षेत्रों का समावेश होता है और जिनके बारे में साक्षात्कार के दौरान ही सूचना प्राप्त करनी होती है, लेकिन इस प्रणाली में प्रश्नों के स्वरूप और उनके क्रम का निर्धारण करने में अनुसन्धानकर्ता को काफी स्वतन्त्रता प्राप्त होती है।"
इसके अन्तर्गत केवल उन विषयों का उल्लख होता है जिनके सम्बन्ध में उत्तरदाता से सूचनाएँ प्राप्त करनी होती हैं। एक अनुसन्धानकर्ता ऐसी प्रश्नावली की सहायता से आरम्भ में यह ज्ञात करने का प्रयत्न करता है कि किस प्रकार के प्रश्नों और उनके एक विशेष क्रम के द्वारा सर्वोत्तम सूचनाएँ प्राप्त की जा सकती हैं। यही कारण है कि ऐसी प्रश्नावली को साक्षात्कार निर्देशिका भी कहा जाता है।
यह तभी लाभदायक होती है जब अध्ययन का क्षेत्र सीमित हो तथा प्रत्येक उत्तरदाता से सम्पर्क स्थापित करना सम्भव हो। इसके पश्चात् भी कुछ विद्वान् असंरचित प्रश्नावली को प्रश्नावली का एक प्रकार न मानकर साक्षात्कार विधि के आधार के रूप में देखते हैं। इसका कारण यह है कि प्रश्नावली के अन्तर्गत साक्षात्कार की प्रक्रिया का कोई स्थान नहीं होता।
(7) तथ्य सम्बन्धी प्रश्नावली (Fact finding questionnaire) - इसमें तथ्यों के सम्बन्ध में सूचना प्राप्त की जाती है।
(8) सम्मति सम्बन्धी प्रश्नावली (Questionnaire about Opinion) सूचनादाता की सम्मति, प्रवृत्ति एवं रुचि के सम्बन्ध में सूचना संकलित की जाती है। जनमत संग्रह (Opinion polls) और बाजार सर्वेक्षण (Market Surveys) ऐसी प्रश्नावलियों के द्वारा सम्भव होते हैं।
प्रश्नावली की विश्वसनीयता (Reliability of
Questionnaire)
विश्वसनीयता का पता तभी लग जाता है जब अधिकतर प्रश्नों के अर्थ अलग-अलग लगाए गए हों,
ऐसी स्थिति में शंका उत्पन्न होती है। अविश्वसनीयता की समस्या निम्नलिखित कारणों से उत्पन्न होती है-
(1) गलत एवं असंगत प्रश्न (Wrong and Irrelevant Questions)- गलत और असंगत प्रश्नों के उत्तर उत्तरदाता अपने-अपने दृष्टिकोण से देते हैं। ऐसी स्थिति में उत्तरदाताओं द्वारा दी गई सूचनाएँ विश्वसनीय नहीं हो सकतीं।
(2) पक्षपातपूर्ण निदर्शन (Biased Sample) - निदर्शन के चयन में सावधानी से उसके परिणामों में विश्वसनीयता नहीं आ सकती। यदि सूचनादाताओं के चयन में अनुसन्धानकर्ता प्रभावित हुआ है तो निश्चित रूप से प्राप्त सूचना प्रतिनिधित्वपूर्ण नहीं हो सकती।
(3) नियन्त्रित पक्षपातपूर्ण उत्तर (Controlled and Biased Responses) प्रश्नावली प्रणाली द्वारा प्राप्त उत्तर अकसर कम सही होते हैं। कुछ गोपनीय एवं व्यक्तिगत सूचनाएँ देने से वे संकोच करते हैं क्योंकि वे अपने हाथ से लिखकर देने से डरते हैं, अतः उनके उत्तरों में पक्षपात की भावना होती है। उनके उत्तरों में या तो तीव्र आलोचना मिलेगी या पूर्ण सहमति मिलेगी। सन्तुलित उत्तर प्राप्त नहीं हो पाते।
(4) विश्वसनीयता की जाँच (Test of Reliability)- प्रश्नावली में दिए गए उत्तरों में विश्वसनीयता प्रायः कम पाई जाती है इसीलिए उनकी जाँच कर लेनी चाहिए। इसके कतिपय तरीके निम्नलिखित हैं-
(i) प्रश्नावलियों को पुनः भेजना (Sending Questionnaire Again) - विश्वसनीयता की परख के लिए प्रश्नावलियों को उत्तरदाताओं के पास पुनः भेज देना चाहिए। यदि उनके उत्तर इस बार भी पहले की तरह मेल खाते हैं तो प्राप्त सूचना पर विश्वास किया जा सकता है। यह जाँच तभी उपयोगी सिद्ध हो सकती है जब उत्तरदाता की सामाजिक, आर्थिक या मानसिक परिस्थिति में कोई परिवर्तन न हुआ हो।
(ii) समान वर्गों का अध्ययन (Study of Similar Groups)- विश्वसनीयता की जाँच के लिए, वही प्रश्नावली अन्य समान वर्गों के पास भेजी जाए, यदि उनसे प्राप्त उत्तरों से व पहले वाले वर्गों द्वारा दिए गए उत्तरों में समानता है तो दी गई सूचना पर विश्वास किया जा सकता है।
iii) उपनिदर्शन का प्रयोग करना (Using a Sub-sample) - प्रमुख निदर्शन में से एक उपनिदर्शन का चयन कर, प्रश्नावली की परख की जा सकती है। उपनिदर्शन से प्राप्त सूचनाओं और प्रमुख निदर्शन से प्राप्त सूचनाओं में यदि काफी अन्तर पाया जाता है तो प्रश्नावली अविश्वसनीय समझी जाएगी।
(iv) अन्य तरीके (Miscellaneous Methods) - प्रश्न पद्धतियों में साक्षात्कार, अनुसूची एवं प्रत्यक्ष निरीक्षण को सम्मिलित किया जा सकता है। इन विधियों द्वारा प्रश्नों के उत्तर लगभग समान हों तो प्रश्नावली को विश्वसनीय समझा जाएगा, अन्यथा नहीं।